नई टिहरी। भारत के धार्मिक स्थलों में अपनी विशेष पहचान रखने वाला टिहरी शहर पर्यटन को लेकर भी देश ही नहीं विदेशों में भी चर्चित है। पर्वतों के बीच स्थित यह जगह काफी खूबसूरत है। हर वर्ष काफी संख्या में पर्यटक यहां पर घूमने के लिए आते हैं। यह स्थान धार्मिक स्थल के रूप में भी काफी प्रसिद्ध है। यहां आप चम्बा, बूढ़ा केदार मंदिर, कैम्पटी फॉल, देवप्रयाग आदि स्थानों में घूम सकते हैं। यहां की प्राकृतिक खूबसूरती काफी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर खिंचती है। टिहरी के पुराने इतिहास पर नजर डाली जाए तो बताया जाता है कि पहले यह एक छोटा सा ग्राम हुआ करता था, लेकिन 1815 में गढ़वाल के राजा सुदर्शन शाह ने इस नगर को अपनी रियासत की राजधानी बनाया, और इसी के नाम पर राज्य का नाम टिहरी-गढ़वाल रियासत पड़ा। 1901 में टिहरी की जनसंख्या 3,387 थी और इसका विस्तार लम्बाई में तीन चौथाई मील और चौड़ाई में लगभग आधा मील था। अट्ठारवीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी के जहाज़ टिहरी के पोत तक आते थे। 21 वीं शताब्दी की शुरुआत में टिहरी बाँध के निर्माण के कारण पूरा टिहरी नगर जलमग्न हो गया। इस त्रासदी ने लगभग 1,00,000 लोगों को प्रभावित किया था जिनके निवास के लिए उत्तराखण्ड सरकार ने इस नगर की स्थापना की। इस नगर का निर्माण 90 के दशक में ही शुरू हो गया था और इसके लिए 3 गांवों और थोड़ी वन भूमि का अधिग्रहण किया गया। 2004 तक टिहरी नगर को पूरा खाली कर वहां के निवासियों को नई टिहरी में स्थानांतरित कर दिया गया था।
बलवंत रावत
संपादक