“लीलाधर जगुड़ी ने किया संस्कृत भाषा का अपमान :-डॉ. राम भूषण बिज़ल्वाण। 

Spread the love

“लीलाधर जगुड़ी ने किया संस्कृत भाषा का अपमान :-डॉ. राम भूषण बिज़ल्वाण। 

बाहरी व्यक्ति किसी विषय में कोई अनोचित्यपूर्ण बयान देता है तो चलता है लेकिन जब एक ऐसा व्यक्तित्व जो हिंदी-संस्कृत के नाम पर समाज में लब्धख्याति प्रतिष्ठित है यहाँ तक कि पद्मश्री सम्मान से भी अलंकृत हुआ हो ऒ इस प्रकार की अनोचित्यपूर्ण बयानबाजी करें तो अत्यंत कष्ट का विषय है। संस्कृत विद्यालय-महा विद्यालय शिक्षक संघ उत्तराखण्ड के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राम भूषण बिज़ल्वाण का कहना है कि साहित्य ने हमेशा सृजन की बात की है विजर्सन की नहीं! उन्होंने कहा बेहतर होता कि श्री लीलाधर जगूड़ी मौलिक संसाधनों से जूझ रहे इन संस्कृत संस्थाओं के अभ्युदय एवं संवर्द्धन की बात करते, डॉ. बिज़ल्वाण ने कहा साहित्य के क्षेत्र में लीलाधर जगुड़ी का व्यक्तित्व बहुत बड़ा है लेकिन आज संस्कृत सप्ताह समारोह के प्रथम दिवस पर उन्होंने संस्कृत के प्रति इस प्रकार का बयान देकर अपने साहित्य सृजनविधा का ही अपमान किया है। उन्होंने ने लीलाधर जगुड़ी को नसीहत देते हुए कहा कि इससे अच्छा आप प्रदेश में संस्कृत शिक्षा की बेहतरी के लिए बोलते तो हो सकता आपके प्रभाव और सकारात्मक पक्ष से संस्कृत विद्यालय-महाविद्यालयों का कुछ हित होता, लेकिन आपने तो जड़ को सींचने के बजाय उसको उखाड़ फेंकने की बात कर दी है। डॉ. बिज़ल्वाण ने कहा मै पूछता हूँ यह कौनसी सृजनविधा है आपकी आप जिस सुदूर गांव से आते हैं उस गांव के संस्कृत के विद्वानों ने मिलकर कई वर्षों पूर्व वहां एक संस्कृत विद्यालय की स्थापना कर आज तक उसको सींचने का कार्य कर रहे हैं प्रदेश का इकलौता संस्कृत विद्यालय है लीलाधर जगूड़ी के मूल गांव जोगत (उत्तरकाशी) का जहां आज भी सर्वाधिक संख्या में छात्राएं संस्कृत अध्ययन कर रही है।

आज संस्कृत सप्ताह समारोह के अवसर पर श्री लीलाधर जगूड़ी के बयान की निंदा करते हुए आपके गांव की छात्राओं ने विशाल संस्कृत रैली निकाली है। (फ़ोटो संलग्न) और दूसरी तरफ आज आपने बिना कुछ यथार्थ को देखें-समझे सीधे संस्कृत के वटवृक्षों के अस्तित्व पर सवाल खड़ा किया है। डॉ. राम भूषण बिज़ल्वाण ने लीलाधर जगुड़ी के बयान पर कई सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा आपका आजतक संस्कृत के संवर्द्धन के लिए क्या योगदान रहा है? अपने जीवनकाल में संस्कृत-हिंदी के कितने साहित्यकार दिए हैं समाज को ? संस्कृत के सम्मान के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नही हो सकता, पूरा संस्कृत जगत आपके इस बयान की घोर निंदा करता है।

डॉ. बिज़ल्वाण ने कहा लीलाधर जगूड़ी जी तत्काल अपना बयान वापस लेकर खेद प्रकट करें क्षमा मांगे अन्यथा आपके विरोध में खुला आंदोलन छेड़ा जाएगा। साथ सरकार से मांग करते हैं कि प्रदेश में द्वितीय राजभाषा की गरिमा के अनुरूप संस्कृत विद्यालय-महाविद्यालयों की सभी मूलभूत सुविधाएं संशाधनों को सुदृढ कर अपना संस्कृत और संस्कृति की पोषक सरकार होने का प्रमाण दें।


Spread the love
error: Content is protected !!