देश विदेश में मैती आंदोलन बना प्रकृति संरक्षण का एक और माध्यम और प्रेरणा

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*देश विदेश में मैती आंदोलन बना प्रकृति संरक्षण का एक माध्यम एंव प्ररेणा*

टिहरी

ग्लोबल वार्मिंग इस कदर हावी हो चुका है कि मैती आंदोलन आज पूरे विश्व की जरूरत बन चुका है।
भारत द्वारा G 20 की अध्यक्षता की जा रही है जिसमे जिसमें विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं मांडूवाला स्थित देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में उत्तराखंड पारंपरिक घर एवं पर्यावरण विषय में एक दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया जिसमें मैती आंदोलन को बल दिया गया मैती आंदोलन के अग्रदूत पदमश्री कल्याण सिंह रावत ने कहा कि
*”सनातन धर्म में परंपराओं और रीति-रिवाजों में प्रकृति संरक्षण का संदेश छुपा है”* लेकिन आज हम उस संदेश को भूलकर धन लाभ हेतु प्रकृति का दोहन कर रहे हैं प्रकृति संरक्षण के लिए और मां बेटी की अटूट रिश्ते पर आधारित मैती आंदोलन विश्व की जरूरत बन चुका है

तो वहीं कुछ युवा ऐसे भी जो बिना किसी निजी लाभ के ऐसा कार्य कर रहे जिसकी सरहना होनी चाहिए
हम बात कर रहे हैं टिहरी जिले के ग्राम सभा बनाली के युवाओं की,
बनाली के युवाओं ने मैती आंदोलन को बीते एक साल पहले अपनाया और लगातार आगे बढ़ा रहे हैं युवाओं ने बताया कि पिछले 1 साल में 35 नव विवाहितों ने अपने विवाह को यादगार बनाने तथा पर्यावरण संरक्षण हेतु मैती मुहिम के अंतर्गत वृक्षारोपण किया।
युवाओं का ने बताया कि बीते बैशाख माह में सबसे ज्यादा 15 नव दंपतियों ने प्रेम पौधों का रोपण किया है जिसमे , गीता संग कुलवीर, मनीषा संग नरदेव, रुचि संग नवीन, हुकम संग प्रीति, सरिता संग सतेंद्र, रीता संग अजय , अनिल संग सीता, साक्षी संग अरविंद, रमेश संग कविता, सीमा संग विनोद,…आदि हैं

मानव और प्रकृति का एक दूसरे से अटूट संबंध है मानव का प्रकृति के प्रति कर्तव्य है उसका संरक्षण कर संजोए रखना।
जहां प्रकृति मानव जीवन के अलग-अलग पहलुओं को निर्धारित करती है वही प्रकृति भी मानव के क्रियाकलापों से प्रभावित होती है वही प्रभाव मानव जीवन पर गंभीर प्रभाव डालता है चाहे बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण हो, पृथ्वी का बढ़ता तापमान हो, सूखाग्रस्त या अनियमित बारिश प्राकृतिक आपदा का कारण मनुष्य ही है।
*_‌आओ प्रकृति का संरक्षण कर अपना और अपनों का भविष्य संरक्षण करते हैं।_*


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