भारतीय समवेत औषध संस्थान द्वारा काश्तकारों को दी जा रही है ओषधीय की जानकारी

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काश्तकारों को दी औषधीय एवं सुगंधित फसलों की जानकारी
भारतीय समवेत औषद्य संस्थान की ओर से चलाया जा रहा कार्यक्रम
नई टिहरी
सीएसआईआर भारतीय समवेत औषद्य संस्थान, जम्मू की ओर से अरोमा मिशन-2 के तहत जिले के विभिन्न गांवों में काश्तकारों को सगंध फसलों के प्रति जागरुक करने के साथ ही प्रशिक्षण दिया गया। संस्थान की ओर से गांवों में पहुंची टीम ने काश्तकारों को औषधीय एवं सुगंधित फसलों तथा उनसे होने वाले लाभों की जानकारी दी।
मंगलवार को टिहरी के चौखाल, कुड़ी पाली, काणाताल तथा भिलंगना में संस्थान की ओर से जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सीएसआईआर-आईआईआईएम के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुमित गैरोला ने कहा कि इन दिनों अरोमा मिशन के तहत उत्तराखंड के चयनित गांवों के काश्तकारों को औषधीय एवं सुगंधित फसलों के बारे में एवं उनसे होने वाले लाभों की जानकारी के साथ ही कृषिकरण के लिए लेवेंडर के पौधे मुफ्त में दिए जा रहे हैं। बताया कि काश्तकारों को सुगंधित फसलों की खेती के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। जिससे पहाड़ों में खेती के लिए होने वाली मुख्य समस्या, जैसे जंगली जानवरों द्वारा खेती को नुकसान, पानी की कमी तथा पलायन को इससे काफी हद तक कम किया जा सकता है। डॉ. गैरोला ने कहा कि इन फसलों में यह क्षमताएं हैं कि, इसमें जानवर नहीं आता है तथा इन्हें सिंचाई की बहुत कम आवश्यकता होती है। यह वातावरण के हिसाब से अपना जीवन आगे बढ़ाते हैं तथा ठंडे क्षेत्रों में अच्छी वृद्धि करते हैं तथा बंजर भूमि में या चट्टानी भूमि में इसकी खेती की जा सकती है। इस मौके पर परियोजना सहायक कमलेश नेगी, काश्तकार अजय पंवार आदि मौजूद रहे।


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