तेजी से बढ़ रहा सोलो ट्रैवलिंग का क्रेज

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नई दिल्ली। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के डेटा के मुताबिक देश में अकेले ट्रैवल करने वालों में आधे से ज्यादा संख्या महिलाओं की है। यानी जाहिर तौर पर वे यहां पुरुषों से बाजी मार रही हैं। बीते कुछ सालों में महिलाओं में सोलो ट्रैवल का ट्रेंड तेजी से बढ़ा। यहां तक कि कई एजेंसियां आ चुकी हैं जो महिलाओं को अकेले सफर करने पर गाइड कर रही हैं और सेफ्टी टिप्स भी दे रही हैं। गूगल ट्रेंड्स के मुताबिक साल 2017 में 20 लाख से ज्यादा महिलाओं ने सोलो ट्रैवल के लिए वेबसाइट्स खंगाली और टिप्स खोजीं। इसमें भारतीय महिलाओं की संख्या भी कम नहीं रही होगी। कम से कम फिलहाल देश में वुमन सोलो ट्रैवल का चलन तो यही बताता है। दिल्ली में जुगनी नाम से ट्रैवल ग्रुप के फाउंडर नितेश चौहान का कहना है कि पुरुषों से ज्यादा महिलाएं अब सोलो ट्रिपर देखने को मिल रही हैं। बात अगर आंकड़े की करें तो आज 65 प्रतिशत महिलाएं सोलो ट्रैवलिंग प्रेफर करती हैं। इनके मुकाबले पुरुष सोलो ट्रैवलर लगभग 35 प्रतिशत हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सोलो ट्रैवलिंग के बहुत से कारण होते हैं। कई बार ऐसे भी लोग होते हैं जो सिर्फ अपने अंदर के डर को चेक करने के लिए ट्रिप पर निकल जाते हैं और किसी ग्रुप को जॉइन कर लेते हैं और ग्रुप में ट्रैवल करते हैं। वो यह देखना चाहते है कि वे एक अजनबी के साथ ट्रिप कर सकते हैं या नहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी ट्रैवलर होते हैं जो सारा प्लान अकेले ऑर्गेनाइज करते और घूमने निकल जाते हैं। इसमें टाइम अलोन का कंसेप्ट भी है। यानी लोग दुनिया के शोरगुल और जिम्मेदारियों को छोड़कर कुछ समय के लिए केवल अपने साथ वक्त बिताने की सोचते हैं। महिलाएं चूंकि घर-बाहर की जिम्मेदारियों में ज्यादा उलझी रहती हैं, इसलिए टाइम अलोन की अहमियत उनके लिए बढ़ी। हिमाचल में धर्मशाला की एक एडवेंचर कंपनी मेडट्रैक के मालिक अर्जुन डोगरा का कहना है कि खुद के साथ वक्त बिताना हर कोई चाहता है। इसलिए हमारे यहां हर उम्र के लोग आते हैं। लेकिन कुछ सालों से विमेन सोलो ट्रैवलिंग की डिमांड बहुत बढ़ गई है। देश के हर राज्य से लोग हमारे यहां आते हैं। कई बार बड़े-बड़े एक्टर-एक्ट्रेस भी आते हैं, जो अकेले रहना चाहते हैं।


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