हरिद्वार स्थित दिव्य प्रेम सेवा मिशन के रजत जयंती समारोह में पहुंचे राष्ट्रपति कोविंद ने कहा पवित्र गंगा के तट पर स्थापित यह मिशन मानव सेवा के लिए समर्पित हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने आज हरिद्वार स्थित दिव्य प्रेम सेवा मिशन के रजत जयंती समारोह के अवसर पर सम्बोधित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड की पवित्र धरती अध्यात्म के साथ ही शांति एवं ज्ञान की भूमि रही है। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा पवित्र गंगा के तट पर स्थापित यह मिशन मानव सेवा के लिए समर्पित हैं। उन्होंने कहा संस्था द्वारा कुष्ठ रोगियों की समर्पित भाव से की जा रही सेवा सराहनीय है। महात्मा गांधी ने भी कुष्ठ रोगियों की सेवा कर समाज को इसके लिये प्रेरित किया था। राज्यपाल सेवानिवृत्त लेफ्टीनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि आज का यह कार्यक्रम ‘सेवा की साधना’ को समर्पित है, सेवा की साधना की प्रेरणा हमारे ऋषि-मुनियों और भारतीय शास्त्रों की देन है, जिनमें परोपकार को सबसे बड़ा पुण्य कहकर महिमामण्डित किया गया है।
राज्यपाल ने कहा कि सेवाभावी भारत के निर्माण के लिए युवाओं को गरीबों, वंचितों, निर्बलों की सेवा का संकल्प लेना होगा। स्वामी विवेकानन्द के ‘नर सेवा, नारायण सेवा’ के मंत्र को सच्चे अर्थो में अपनाना होगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वे सैनिक के पुत्र है और सैनिक कभी सेवानिवृत्त नहीं होता है। उन्होंने राष्ट्रपति सहित अन्य अतिथियों का प्रदेश की जनता की ओर से स्वागत करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड की जनता ने राज्य के अंदर एक नया इतिहास बनाने का कार्य किया है। इस अवसर पर देश की प्रथम महिला सविता कोविंद, स्वामी रामदेव, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, विधायक आदेश चौहान, प्रदीप बत्रा भी मौजूद रहे।