संस्कृत भाषा में छपे शादी के कार्ड क्षेत्र के साथ-साथ उत्तराखंड में रहे चर्चा का विषय।
उत्तराखंड देहरादून की छोटी सी प्यारी सी हिमालय की तलहटी में बसा ग्राम सभा सारंगधरवाला (भोगपुर) पिछले हफ्ते खूब चर्चा मे था। इसका मुख्य कारण क्षेत्र के जाने-माने पंडित विजेंद्र प्रकाश जोशी जी के सुपुत्र का विवाह समारोह रहा जिसमें विवाह के निमंत्रण पत्र की भाषा देववाणी संस्कृत रही जिसको हम कहीं ना कहीं विस्मृत करते जा रहे हैं हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर भी संस्कृत और संस्कृति के उत्थान हेतु अनेक प्रयास किए जा रहे हैं उन्हीं में से पंडित विजेंद्र प्रकाश जोशी द्वारा किया गयाा यह प्रयास सराहनीय है साथ ही कार्ड के माध्यम से समाज में आई मदिरापान (कॉकटेल पार्टी) पाश्चात्य संस्कृति जो कि आजकल अपने चरम पर है उसको रोकने का भी एक प्रयास किया गया है हालाकि सफलता कितनी रही यह कहना मुश्किल होगा परंतु ऐसी कोई पार्टी का आयोजन उस विवाह समारोह में नहीं था साथ ही मांगलिक गीतों के माध्यम से अपने उत्तराखंड की परंपरा को बचाने और बढ़ाने का भी खूब प्रयास किया गया। देशभक्ति के गीत भी इस विवाह समारोह में सुनाई दिए और विवाह कार्यक्रम में आए सभी मेहमान मस्ती से झूम उठे वहीं दूसरी ओर सुंदरकांड का पाठ भी अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हुआ जिसमें महिलाएं और बुजुर्ग भक्ति के रस में डूबे नजर आए इस शुभ अवसर पर नव दंपति को अपना आशीर्वाद प्रदान करने के लिए उत्तराखंड के अनेक जाने-माने लोग मौजूद थे। हालांकि इस प्रकार के प्रयोग उत्तराखंड में पहले भी किए जा चुके हैं परंतु क्षेत्र की दृष्टि से यह प्रथम प्रयोग है जो की खूब चर्चा का विषय भी रहा और आने वाले समय में सबके लिए एक प्रेरणा भी रहेगी। क्षेत्र के सभी लोगों ने पंडित विजय प्रकाश जोशी के द्वारा किए गए प्रयास की भूरी-भूरी प्रशंसा की है साथ ही नव दंपति को अपना आशीर्वाद भी प्रदान किया है। इस क्षेत्र में मैत्री स्वयं सेवी संस्था की अध्यक्ष कुसुम जोशी भी सराहनीय कार्य कर रही है।