हैप्रेक ने के सहयोग से डांडा की बेली में होगी जड़ी-बूटी का कृषीकरण
ग्रामीणों को जड़ी-बूटी के कृषिकरण का प्रशिक्षण दिया
ग्रामीणों को जड़ी-बूटी की खेती के लिए किया जागरूक
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के हैप्रेक विभाग की पहल पर विकासखंड कीर्तिनगर के दूरस्त गांव डांडा की बूली में पहली बार जड़ी-बूटी की खेती शुरू होगी। इस मौके पर हैप्रेक विभाग ने ग्रामीणों की बैठक कर जड़ीबूटी से होने वाले लाभों के बारे में बताया।इस दौरान ग्रामीणों को जड़ी-बूटी के कृषिकरण का भी प्रशिक्षण दिया गया। सोमवार को गढ़वाल विवि के हैप्रेक विभाग के ओर से जीवंति वेलफेयर चैरिटेबल ट्रस्ट डाबर इंडिया लिमिटेड (जेडब्ल्यूसीटी) परियोजना के तहत जनपद टिहरी के सुदूरवर्ती गांव डांडा की बेली में ग्रामीणों को जड़ी-बूड़ी के खेती करने के लिए जागरूक किया गया। हैप्रेक के निदेशक डा. विजयकांत पुरोहित के दिशा निर्देशन में उनकी टीम ने कुटकी की 20 हजार और सुगंधबाला की 5 हजार पौध वितरित की गई। इस अवसर पर ग्रामीणों को जड़ी-बूटी के खेती करने का प्रशिक्षण भी दिया गया। कार्यक्रम में हप्रैक के डा. प्रदीप डोभाल और एसएसओ डा. सुदीप सेमवाल ने जड़ी-बूटी के महत्व को बताते हुए इसके कृषिकरण करने पर जोर दिया। कहा कि जड़ी-बूटी की खेती कर ग्रामीण स्वाभिलंबी बन सकते है। इस मौके पर ग्राम प्रधान प्रदीप दास, विनित पाण्डेय सहित आदि मौजूद थे।